योग और हमारा स्वास्थ्य

 

योग और हमारा स्वास्थ्य


भूमिका 


प्राचीन काल से हमारे ऋषि _मुनियों ने योग के महत्व को दर्शाया है हमारे ऋषि मुनि योगी बनकर सो वर्ष से भी अधिक वर्षों तक जीवन जिया है लंबी आयु जीने का एकमात्र योग ही ऐसा साधन है जिसे इस शरीर को निरोगी और लंबी आयु प्राप्त होती है हमारे शास्त्रों में भी योग के महत्व को दर्शाया है शरीर और मन दोनों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए नियमित रूप से दिनचर्या में योगासनों को शामिल करके लाभ प्राप्त किया जा सकता है। योगासन, शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ावा देने के साथ मन को शांत करते हैं। जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए योगासनों का नियमित अभ्यास आपके लिए काफी मददगार हो सकता है। योग का अभ्यास शरीर, श्वास और मन को जोड़ता है। समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए योगासनों में शारीरिक मुद्राओं, सांस लेने के व्यायाम और ध्यान का संयोजन किया जाता है। 

नियमित योग के क्या फायदे हैं?


योग आपके संपूर्ण फिटनेस स्तर में सुधार करके आपके शरीर की मुद्रा और लचीलेपन को भी बेहतर बनाता है। कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिमों को कम करने के लिए योगासनों का रोजाना अभ्यास करना फायदेमंद हो सकता है।

योग चिकित्सा तंत्रिका और अंतःस्रावी तंत्र में बनाए गए संतुलन के कारण सफल होती है जो शरीर के अन्य सभी प्रणालियों और अंगों को सीधे प्रभावित करती है। 
अधिकांश लोगों के लिए, हालांकि, योग केवल तनावपूर्ण समाज में स्वास्थ्य बनाए रखने का मुख्य साधन हैं। योग बुरी आदतों के प्रभावों को उलट देता है, जैसे कि सारे दिन कुर्सी पर बैठे रहना, मोबाइल फोन को ज़्यादा इस्तेमाल करना, व्यायाम ना करना, ग़लत ख़ान-पान रखना इत्यादि।
इनके अलावा योग के कई आध्यात्मिक लाभ भी हैं। इनका विवरण करना आसान नहीं है, क्योंकि यह आपको स्वयं योग अभ्यास करके हासिल और फिर महसूस करने पड़ेंगे। हर व्यक्ति को योग अलग रूप से लाभ पहुँचाता है। तो योग को अवश्य अपनायें और अपनी मानसिक, भौतिक, आत्मिक और अध्यात्मिक सेहत में सुधार लायें।

योग के नियम - 


अगर आप यह कुछ सरल नियमों का पालन करेंगे, तो अवश्य योग अभ्यास का पूरा लाभ पाएँगे:

1    किसी गुरु के निर्देशन में योग अभ्यास शुरू करें।
 2       सूर्योदय या सूर्यास्त के वक़्तयोग का सही समय है।
3       योग करने से पहले स्नान ज़रूर करें।
 4        योग खाली पेट करें। योग करने से 2 घंटे पहले कुछ ना खायें।
5 आरामदायक सूती कपड़े पहनें।
6 तन की तरह मन भी स्वच्छ होना चाहिए -
7 योग करने से पहले सब बुरे ख़याल दिमाग़ से निकाल दें।
8 किसी शांत वातावरण और सॉफ जगह में योग अभ्यास करें।
9 अपना पूरा ध्यान अपने योग अभ्यास पर ही केंद्रित रखें। योग अभ्यास धैर्य और दृढ़ता से करें।
10 अपने शरीर के साथ ज़बरदस्ती बिल्कुल ना करें।
11 धीरज रखें। योग के लाभ महसूस होने मे वक़्त लगता है।
12 निरंतर योग अभ्यास जारी रखें।
13 योग करने के 30 मिनिट बाद तक कुछ ना खायें। 1 घंटे तक न नहायें।
14 प्राणायाम हमेशा आसन अभ्यास करने के बाद करें।
15 अगर कोई मेडिकल तकलीफ़ हो तो पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह करें।
16 अगर तकलीफ़ बढ़ने लगे या कोई नई तकलीफ़ हो जाए तो तुरंत योग अभ्यास रोक दें।
16=7 योगाभ्यास के अंत में हमेशा शवासन करें।
योग के प्रकार -

योग के 4 प्रमुख प्रकार या योग के चार रास्ते हैं:


राज योग:

राज का अर्थ शाही है और योग की इस शाखा का सबसे अधिक महत्वपूर्ण अंग है ध्यान। इस योग के आठ अंग है, जिस कारण से पतंजलि ने इसका नाम रखा था अष्टांग योग। इसे योग सूत्र में पतंजलि ने उल्लिखित किया है। यह 8 अंग इस प्रकार है: यम (शपथ लेना), नियम (आचरण का नियम या आत्म-अनुशासन), आसन, प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण), धारण (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन), और समाधि (परमानंद या अंतिम मुक्ति)। राज योग आत्मविवेक और ध्यान करने के लिए तैयार व्यक्तियों को आकर्षित करता है। आसन राज योग का सबसे प्रसिद्ध अंग है, यहाँ तक कि अधिकतर लोगों के लिए योग का अर्थ ही है आसन। किंतु आसन एक प्रकार के योग का सिर्फ़ एक हिस्सा है। योग आसन अभ्यास से कहीं ज़्यादा है। (और पढ़ें - अमेरिकन योग ट्रेनर द्वारा अष्टांग योग का अभ्यास) 
 

कर्म योग:

अगली शाखा कर्म योग या सेवा का मार्ग है और हम में से कोई भी इस मार्ग से नहीं बच सकता है। कर्म योग का सिद्धांत यह है कि जो आज हम अनुभव करते हैं वह हमारे कार्यों द्वारा अतीत में बनाया गया है। इस बारे में जागरूक होने से हम वर्तमान को अच्छा भविष्य बनाने का एक रास्ता बना सकते हैं, जो हमें नकारात्मकता और स्वार्थ से बाध्य होने से मुक्त करता है। कर्म आत्म-आरोही कार्रवाई का मार्ग है। जब भी हम अपना काम करते हैं और अपना जीवन निस्वार्थ रूप में जीते हैं और दूसरों की सेवा करते हैं, हम कर्म योग करते हैं। 
 

भक्ति योग:

भक्ति योग भक्ति के मार्ग का वर्णन करता है। सभी के लिए सृष्टि में परमात्मा को देखकर, भक्ति योग भावनाओं को नियंत्रित करने का एक सकारात्मक तरीका है। भक्ति का मार्ग हमें सभी के लिए स्वीकार्यता और सहिष्णुता पैदा करने का अवसर प्रदान करता है। 
 

ज्ञान योग:

अगर हम भक्ति को मन का योग मानते हैं, तो ज्ञान योग बुद्धि का योग है, ऋषि या विद्वान का मार्ग है। इस पथ पर चलने के लिए योग के ग्रंथों और ग्रंथों के अध्ययन के माध्यम से बुद्धि के विकास की आवश्यकता होती है। ज्ञान योग को सबसे कठिन माना जाता है और साथ ही साथ सबसे प्रत्यक्ष। इसमें गंभीर अध्ययन करना होता है और उन लोगों को आकर्षित करता है जो बौद्धिक रूप से इच्छुक हैं। 

योग करने का सही समय क्या है? 

सुबह सूर्योदय से पहले एक से दो घंटे योग के लिए सबसे अच्छा समय है। अगर सुबह आपके लिए मुमकिन ना हो तो सूर्यास्त के समय भी कर सकते हैं। इसके अलावा इन बातों का भी ख़ास ध्यान रखें:

अगर दिन का कोई समय योग के लिए निर्धारित कर लें, तो यह उत्तम होगा।
सब आसन किसी योगा मैट या दरी बिछा कर ही करें।
आप योग किसी खुली जगह जैसे पार्क में कर सकते हैं, या घर पर भी। बस इतना ध्यान रहे की जगह ऐसी हो जहाँ आप खुल कल साँस ले सकें।


योगाभ्यास शुरू करने से पहले जान ले 

योग आसन हमेशा मन को शांतिपूर्ण अवस्था में रख कर किए जाने चाहिए। शांति और स्थिरता के विचार के साथ अपने मन को भरें और अपने विचारों को बाहारी दुनिया से दूर कर स्वयं पर केंद्रित करें। सुनिश्चित कर लें कि आप इतने थके ना हों कि आसन पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ हों अगर थकान ज़्यादा हो तो केवल रिलैक्स करने वाले आसन ही करें।

योगाभ्यास के दौरान सही मानसिक स्थिति क्या है? 

आप जो आसन कर रहे हैं, उस पर गहरा ध्यान लगायें। शरीर के जिस अंग पर उस आसन का सबसे ज़्यादा प्रभाव पड़ता है, उस पर अपनी एकाग्रता केंद्रित करें। ऐसा करने से आपको आसान का आशिकतम लाभ मिलेगा। आसन करते समय, श्वास बहुत महत्वपूर्ण होता है। आसन के लिए जो सही श्वास करने का तरीका है वैसा ही करें (कब श्वास अंदर लेना है और बाहर छोड़ना है)। अगर आपको इसका ग्यात ना हो तो जो सामान्य लयबद्ध श्वास रखे।
योग की शुरुआत करने के लिए टिप्स और सुझाव 

अगर आप योगाभ्यास जीवन में पहली बार शुरू कर रहे हैं या योग से ज़्यादा परिचित नहीं हैं, तो इन बातों का ख़ास ध्यान रखें:


अपने योगाभ्यास को धैर्य और दृढ़ता के साथ करें। अगर आपके शरीर में लचीलापन कम है तो आपको शुरुआत में अधिकतर आसन करने में कठिनाई हो सकती है। अगर आप पहले-पहले आसन ठीक से नहीं कर पा रहे हों तो चिंता ना करें। सभी आसान दोहराव के साथ आसान हो जाएँगे। जिन मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव कम है, वह सब धीरे-धीरे लचीले हो जाएँगे।
अपने शरीर के साथ जल्दबाज़ी या ज़बरदस्ती बिल्कुल ना करें।
शुरुआत में आप सिर्फ़ वही आसन कर सकते हैं जो आप आसानी से कर पायें। बस इतना ध्यान रखिए की आपकी श्वास लयबद्ध हो।
शुरुआत में हमेशा दो आसन के बीच कुछ सेकंड के लिए आराम करें। दो आसन के बीच में विश्राम की अवधि अपनी शारीरिक ज़रूरत के हिसाब से तय कर लें। समय के साथ यह अवधि कम कर लें।
अच्छे योगाभ्यास के लिए क्या सावधानियों बरतनी चाहियें? 
ज़्यादातर ऐसा कहा जाता है कि महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए। किंतु आप अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार यह अनुमान लगा सकती हैं कि आपको मासिक धर्म के दौरान योगाभ्यास सूट करता है कि नहीं।
गर्भावस्था के दौरान योग किसी गुरु की देखरेख में करें तो बेहतर होगा।
11वर्ष की आयू से कम के बच्चों को ज़्यादा मुश्किल आसन ना करायें। किसी गुरु के निर्देशन में ही योग करें।
ख़ान-पान में संयम बरते। समय से खाएं-पीए।
धूम्रपान सख्ती से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। अगर आपको तंबाकू या धूम्रपान की आदत है, तो योग अपनायें और यह बुरी आदत छोड़ने की कोशिश करें। 
नींद ज़रूर पूरी लें। शरीर को व्यायाम और पौष्टिक आहार के साथ विश्राम की भी जरूरत होती है। इसलिए समय से सोए।
विश्वास का महत्व एक अच्छे योग
अपने आप में और योग में विश्वास रखें। सकारात्मक सोच एक आदर्श योगाभ्यास की सच्ची साथी है। आपकी मानसिक दशा ओर दृष्टिकोण ही अंत में आपको योग से मिलने वाले तमाम फायदे दिलाती है।

योगासन की सूची -

यहाँ हमने सबसे ज्यादा किए जाने वाले योगासन की सूची दी है -

अधोमुखश्वानासन
अधोमुखवृक्षासन
आकर्ण धनुरासन
अनन्तासन
अञ्जनेयासन
अर्धचन्द्रासन
अष्टांग नमस्कार
अष्टावक्रासन
बद्धकोणासन
बकासन या ककासन
बालासन
भैरवासन
अण्कुशासन
भरद्वाजासन
भेकासन
भुजंगासन
भुजपीडासन
बिडालासन या मार्जरी आसन
चतुरङ्ग दण्डासन
दंडासन
धनुरासन
दुर्वासासन
गर्भासन
गरुड़ासन
गोमुखासन
गोरक्षासन
हलासन
हनुमानासन
जानुशीर्षासन
ञटर परिवर्तनासन
कपोतासन
कर्नापीड़ासन
कौण्डिन्यसन
क्रौञ्चासन
कुक्कुटासन
कूर्मासन
लोलासन
मकरासन
मालासन
मंडूकासन
मरीच्यासन
मत्स्यासन
मत्स्येन्द्रासन
मयूरासन
मुक्तासन
नटराजासन
नावासन या परिपूर्णनावासन या नौकासन
पद्मासन
परिघासन
पार्श्वकोणासन
पार्श्वोत्तनासन
पाशासन
पश्चिमोत्तानासन
पिन्च मयूरासन
प्रसारित पादोत्तानासन
राजकपोतासन
शलभासन
सालम्बसर्वाङ्गासन
समकोणासन
शवासन
सर्वांगासन
सेतुबंधासन
सिद्धासन
सिंहासन
शीर्षासन
सुखासन
सुप्त पादांगुष्ठासन
सुर्य नमस्कार
स्वस्तिकसन
ताड़ासन
टिट्टिभासन
त्रिकोणासन या उत्थित त्रिकोणासन
त्रिविक्रमासन
तुलासन
उपविष्टकोणासन
ऊर्ध्व धनुरासन या चक्रासन
ऊर्ध्व मुख श्वानासन
उष्ट्रासन
उत्कटासन
उत्तानासन
उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन
वज्रासन
वसिष्ठ


निष्कर्ष


 ऋषि मुनियों ने योग के महत्व को समझा है इसलिए योग पर बहुत सी पुस्तके लिखी गई है गुरुकुलों में और स्कूलों में इसको विषय के रूप में पढ़ाया जाने लगा है क्योंकि हमारे सनातन धर्म में शरीर को रोगों से बचने के लिए योग का बहुत महत्व है इसके साथ-साथ आध्यात्मिक दृष्टि से भी योग को प्राचीन काल से अपनाया जा रहा है हमें किसी अच्छे गुरु के मार्गदर्शन में योग को अपनाना चाहिए हमारे खानपान  की वजह से हमारा शरीर अनेकों बीमारियों से ग्रसित हो गया है हर व्यक्ति को किसी न किसी बीमारी से ग्रसित पाया जाता है इससे बचने के लिए योग बहुत आवश्यक है।

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